कभी बादल जो न बरसे
जरा तुम रूठ फिर जाना
मैं कितना भी मनाऊं तो
मगर तुम मान मत जाना ,
बहुत सारे जो हैं शिकवे
इसे तुम भूल मत जाना ,
एक शिकवा एक दिन का हो
और दिन भर मैं मनाऊंगा,
और सिलसला ये उम्र भर का हो
बस कभी कभी मान भी जाना |
कभी मैं न भी बुलाऊँ तो
यूँ ही तुम मिलने आ जाना,
भले कितने भी हो शिकवे
उसे तुम भूल कर आना,
कभी गर रूठ जाऊं तो
जरा तुम भी मना लेना,
बस मेरे गोदी में सर रख के
जरा सी देर सो लेना,
भले हो दूरियां कितनी
भाई कह के मिटा देना |
ज़िंदगी की भाग-दौड़ में जब भी मुझे खुद पर से भरोसा उठा, हर उस वक़्त में मुझ पर भरोसा करने के लिए हर जन्म में तुम मेरे घर को अपना बनाने आज के ही दिन आ जाना | हाँ ! आ जाना, लेकिन मेरे बाद | तुम मेरे ज़िंदगी का सबसे अनमोल तोहफा हो जो आज के दिन ऊपर वाले ने मुझे दिया था | जन्मदिन मुबारक हो मेरी प्यारी सी गुड़िया | मेरी हर ख़ुशी तुम्हे मिल जाए |